मेरे कांधे पे सिर को ज़ुकाना तेरा
मेरे सीने मे खुद को छुपाना तेरा
मेरे कांधे पे सिर को ज़ुकाना तेरा
मेरे सीने मे खुद को छुपाना तेरा
आके मेरी पनाहो मे शाम-ओ-सहर
काँच की तरह वो टूट जाना तेरा
वोऊ वोऊ वोऊ वोऊ
आज भी जब वो मंज़र नज़र आते है
दिल की विरानियों को मिटा जाते है
दर्द मे भी ये लब मुस्कुरा जाते है
बीते लम्हे हमे जब भी याद आते है
दर्द मे
चंद लम्हत के वास्ते ही सही
मुस्कुरा कर मिली थी मूज़े ज़िंदगी
चंद लम्हत के वास्ते ही सही
मुस्कुरा कर मिली थी मूज़े ज़िंदगी
तेरे आगोश मे दिन थे मेरे कटे
तेरी बाहों मे थी मेरी राते कटी
आज भी जब वो पल मुझको याद आते है
दिल से सारे गमो को भुला जाते है
दर्द मे भी ये लब मुस्कुरा जाते है
बीते लम्हे हमे जब भी याद आते है
दर्द मे