मेरी ज़िन्दगी हैं यह सोने का पिंजरा
के में एक चिड़िया तड़पती रही हूँ
कभी सर को पिंजरे पे मारा है मैंने
के मिलने को तुझसे तरसती रही हूँ
तुझे क्या खबर हैं ओ आज़ाद पंछी
मेरा हाल बिन तेरे क्या हैं
सोने की लंका से मुझे बचा ले
यह दौलत का रावण बहुत ही बुरा हैं