जब तक हमारी ज़रूरत रही
मोहब्बत तभी तक मोहब्बत रही
जब तक हमारी ज़रूरत रही
इनायत तभी तक इनायत रही
मिले तुम्हे ऐसे, तुम अंजान हो
ना चाहत रही, ना मुरव्वत रही
तनहाईयाँ हां आ
तूने क्यूँ दी है बेवजह रे
रुसवाइयाँ हां आ
तूने क्यूँ दी है बेवजह रे
बेचैनियाँ
तूने क्यूँ दी है बेवजह रे
खामोशियाँ
तूने क्यूँ दी है बेवजह रे
उन रातों को मैं बताऊँगा क्या
जिन रातों में तू मेरी बाहों में था
उन शामों को मैं समझाऊँगा क्या
जिन शामों में तू मुझे मिलता रहा
मिलोगे जो फिर से तो एहसान हो
है चाहत यही, अब है हसरत यही
तनहाईयाँ हां आ
तूने क्यूँ दी है बेवजह रे
रुसवाइयाँ हां आ
तूने क्यूँ दी है बेवजह रे
बेचैनियाँ
तूने क्यूँ दी है बेवजह रे
खामोशियाँ
तूने क्यूँ दी है बेवजह रे
उन ख्वाबों को मैं समझाऊँगा क्या
जिन ख्वाबों में तू मेरे आता रहा
उन राहों को मैं बताऊँगा क्या
जिन राहों पे तू मेरे साथ चला
यही सोच कर दिल परेशान है
उन रास्तों पे तू कहाँ खो गयी
तनहाईयाँ हां आ
तूने क्यूँ दी है बेवजह रे
रुसवाइयाँ हां आ
तूने क्यूँ दी है बेवजह रे
बेचैनियाँ
तूने क्यूँ दी है बेवजह रे
खामोशियाँ
तूने क्यूँ दी है बेवजह रे
जब तक हमारी ज़रूरत थी
तब तक ही क्यूँ ये मोहब्बत की
जब तक हमारी ज़रूरत थी
तब तक ही क्यूँ ये मोहब्बत की
जब तक हमारी ज़रूरत थी
तब तक ही क्यूँ ये मोहब्बत की
जब तक हमारी ज़रूरत थी
तब तक ही क्यूँ ये मोहब्बत की