पश्मीना धागों के संग
कोई आज बुने ख़्वाब ऐसे कैसे
वादी में गूंजे कहीं नए साज़
ये रवाब ऐसे कैसे
पश्मीना धागों के संग
कलियों ने बदले अभी ये मिज़ाज
एहसास ऐसे कैसे
पलकों ने खोले अभी नए राज़
जज़्बात ऐसे कैसे
पश्मीना धागों के संग
कोई आज बुने ख़्वाब ऐसे कैसे
कच्ची हवा
कच्ची हवा कच्चा धुआँ घुल रहा
कच्चा सा दिल लम्हें नये चुन रहा
कच्ची सी धूप कच्ची डगर फिसल रही
कोई खड़ा चुपके से कह रहा
मैं साया बनूँ तेरे पीछे चलूँ चलता रहूँ
पश्मीना धागों के संग
कोई आज बुने ख़्वाब ऐसे कैसे
हम्म हम्म हम्म
शबनम के दो क़तरे यूँही टहल रहे
शाखों पे वो मोती से खेल रहे
बेफिक्र से इक दूजे में खुल रहे
जब हो जुदा
खयालों में मिल रहे
ख्यालों में यूँ ये गुफ्तगू चलती रहे
हां हां
वादी में गूंजे कहीं नए साज़
ये रवाब ऐसे कैसे
ऐसे कैसे ऐसे कैसे
ऐसे कैसे ऐसे कैसे