[ Featuring Shivansh Jindal, Anshuman Sharma ]
समंदर को ढुंढु में बैठे हुए ये सोचू
सफर हे ये मेरा हे मंजिल भी मेरी
नया सा जहाँ हे ये बना
बुलाती ये बुंदे हा मुझसे ये बोले
समा जा यहाँ पे तू आजा यहाँ पे
हे घर ये नयासा अब तेरा
समंदर
Head rush, I fall to the floor
समंदर
समंदर
Hands touch, I can't feel the weight of
समंदर
Hands touch, I can't feel the weight of
मैं हो गई जहाँ मुझे आना था
सपने मेरे सामने जिन्हे पाना था
हे मुझे यकीन है इतना हे समा सा
मैं हूँ खुद की रोशनी खुद का पासवा
चलो अब चले हम नए रास्तों पर
अकेले सड़क पर लगे डर मगर अब
देखेंगे देखेगा ये जहाँ
लगे सब मेरे जैसे यहाँ
समंदर
Head rush, I fall to the floor
समंदर
समंदर
Hands touch, I can't feel the weight of
समंदर
Hands touch, I can't feel the weight of
समाई यहाँ पे मैं आई यहाँ पे
लगे सब मुझे जैसे सब देखा हुआ
लगे जैसे मिल गया घर नया