[ Featuring Sarabjot Kalsey ]
क्यों है तेरी मंज़िल
क्षितिज की तरह
जितना तू आगे
वो दूर और चला
हवाओं का रुख़ तू
इधर भी मोढ़ दे
जाने क्यूँ चला गया
घर तू छ्चोढ़ के
क्यों है तेरी मंज़िल
क्षितिज की तरह
जितना तू आगे
वो दूर और चला
हवाओं का रुख़ तू
इधर भी मोढ़ दे
जाने क्यूँ चला गया (जाने क्यूँ चला गया)
घर तू छ्चोढ़ के
ओह बन्जारे ओह बन्जारे
किसी का साथ तू बन जा रे
ओह बन्जारे तू थम जा रे
किसी का साथ तू बन जा रे ए ए
दिन भी गुज़रते गये
लोग भी बिछड़ते गये
तू क्यों ना आया मूढ़ के
रुत्त की तरह
आ आ आ आ आ आ
दिन भी गुज़रते गये
लोग भी बिछड़ते गये
तू क्यों ना आया मूढ़ के
रुत्त की तरह
ढूँढें जिससे सफ़र में
मिले है वो खुध ही में
रुक जा थम जा ठहर जा
बन्जारे
ओह बन्जारे ओह बन्जारे
किसी का साथ तू बन जा रे
ओह बन्जारे तू थम जा रे
किसी का साथ तू बन जा रे
आ आ ओ ओ ओ