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Anup Jalota - Hum Safar Gham Jo Mohabbat Lyrics



Anup Jalota - Hum Safar Gham Jo Mohabbat Lyrics
Official




चस्में पूर्णाम खरीद सकता हूँ
ज़ूलफें बार्हम खरीद सकता हूँ
तू अगर अपना बना ले मुझको
तेरा हर ग़म खरीद सकता हूँ

हम सफ़र ग़म जो
मोहब्बत में दिया हैं तुमने
हम सफ़र ग़म जो
मोहब्बत में दिया हैं तुमने
ये भी मुझ पर बड़ा
एहसान किया हैं तुमने
हम सफ़र ग़म जो
मोहब्बत में दिया हैं तुमने

एक मुद्दत से इसी दिन की थी
हसरत दिल में
एक मुद्दत से इसी दिन की थी
हसरत दिल में
आज में खुश हूँ
के दीवाना कहाँ हैं तुमने
ये भी मुझ पर बड़ा
एहसान किया हैं तुमने
हम सफ़र ग़म जो
मोहब्बत में दिया हैं तुमने

जब भी टकराई मेरे जिस्म से
ये शोख हवा
जब भी टकराई मेरे जिस्म से
ये शोख हवा
मुझको महसूस हुआ ये के
छुआ हैं तुमने
ये भी मुझ पर बड़ा
एहसान किया हैं तुमने
हम सफ़र ग़म जो
मोहब्बत में दिया हैं तुमने

क्या मेरे दिल के धड़कने की ही
आवाज़ हैं ये
क्या मेरे दिल के धड़कने की ही
आवाज़ हैं ये
याके फिर कान में
कुच्छ आके कहाँ हैं तुमने
ये भी मुझ पर बड़ा
एहसान किया हैं तुमने
हम सफ़र ग़म जो
मोहब्बत में दिया हैं तुमने

हिचकिया भी कभी कम्बख़्त नही आती हैं
हिचकिया भी कभी कम्बख़्त नही आती हैं
जो यूँ सोचु के मुझे याद
किया हैं तुमने
ये भी मुझ पर बड़ा
एहसान किया हैं तुमने
हम सफ़र ग़म जो
मोहब्बत में दिया हैं तुमने
ये भी मुझ पर बड़ा
एहसान किया हैं तुमने
हम सफ़र ग़म जो
मोहब्बत में दिया हैं तुमने
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चस्में पूर्णाम खरीद सकता हूँ
ज़ूलफें बार्हम खरीद सकता हूँ
तू अगर अपना बना ले मुझको
तेरा हर ग़म खरीद सकता हूँ

हम सफ़र ग़म जो
मोहब्बत में दिया हैं तुमने
हम सफ़र ग़म जो
मोहब्बत में दिया हैं तुमने
ये भी मुझ पर बड़ा
एहसान किया हैं तुमने
हम सफ़र ग़म जो
मोहब्बत में दिया हैं तुमने

एक मुद्दत से इसी दिन की थी
हसरत दिल में
एक मुद्दत से इसी दिन की थी
हसरत दिल में
आज में खुश हूँ
के दीवाना कहाँ हैं तुमने
ये भी मुझ पर बड़ा
एहसान किया हैं तुमने
हम सफ़र ग़म जो
मोहब्बत में दिया हैं तुमने

जब भी टकराई मेरे जिस्म से
ये शोख हवा
जब भी टकराई मेरे जिस्म से
ये शोख हवा
मुझको महसूस हुआ ये के
छुआ हैं तुमने
ये भी मुझ पर बड़ा
एहसान किया हैं तुमने
हम सफ़र ग़म जो
मोहब्बत में दिया हैं तुमने

क्या मेरे दिल के धड़कने की ही
आवाज़ हैं ये
क्या मेरे दिल के धड़कने की ही
आवाज़ हैं ये
याके फिर कान में
कुच्छ आके कहाँ हैं तुमने
ये भी मुझ पर बड़ा
एहसान किया हैं तुमने
हम सफ़र ग़म जो
मोहब्बत में दिया हैं तुमने

हिचकिया भी कभी कम्बख़्त नही आती हैं
हिचकिया भी कभी कम्बख़्त नही आती हैं
जो यूँ सोचु के मुझे याद
किया हैं तुमने
ये भी मुझ पर बड़ा
एहसान किया हैं तुमने
हम सफ़र ग़म जो
मोहब्बत में दिया हैं तुमने
ये भी मुझ पर बड़ा
एहसान किया हैं तुमने
हम सफ़र ग़म जो
मोहब्बत में दिया हैं तुमने
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Writer: ANUP JALOTA, MURAD LUCKNOWI
Copyright: Lyrics © Universal Music Publishing Group

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