छोड़ दिया वो रास्ता
जिस रास्ते से तुम थे गुज़रे
छोड़ दिया वो रास्ता
जिस रास्ते से तुम थे गुज़रे
तोड़ दिया वो आईना
जिस आईने में तेरा अक्स दिखे
मैं शहर में तेरे था गैरों सा
मुझे अपना कोई ना मिला
तेरे लम्हों से मेरे ज़ख्मों से
अब तो मैं दूर चला
रुख़ ना किया उन गलियों का
जिन गलियों में तेरी बातें हो
छोड़ दिया वो रास्ता
जिस रास्ते से तुम थे गुज़रे
मैं था मुसाफ़िर राह का तेरी
तुझ तक मेरा था दायरा
मैं था मुसाफ़िर राह का तेरी
तुझ तक मेरा था दायरा
मैं भी कभी था मेहबर तेरा
ख़ानाबदोश मैं अब ठहरा
ख़ानाबदोश मैं अब ठहरा
छूता नहीं उन फूलों को
जिन फूलों में तेरी खुशबू हो
रूठ गया उन ख़्वाबों से
जिन ख़्वाबों में तेरा ख़्वाब भी हो
कुछ भी न पाया मैंने सफर में
हो के सफर का मैं रह गया
कुछ भी न पाया मैंने सफर में
हो के सफर का मैं रह गया
कागज़ का बोशीदा घर था
भीगते बारिश में बह गया
भीगते बारिश में बह गया
देखूँ नहीं उस चाँदनी को
जिसमें के तेरी परछाई हो
दूर हूँ मैं इन हवाओं से
ये हवा तुझे छू के भी आयी न हो