झूठा जग रैन बसेरा
सांचा दर्द मेरा
मृग तृष्णा सा मोह पिया
नाता मेरा तेरा
नैना जो सांझे ख्वाब देखते थे नैना
बिछड़ के आज रो दिए हैं यूँ
नैना जो मिलके रात जागते थे नैना
शहर में पलकें मीचते हैं यूँ
जुदा हुए कदम
जिन्होने ली थी यह कसम
मिलके चलेंगे हरदम
अब बाँटते हैं ये गम
भीगे नैना जो खिड़कियों से झाँकते थे
नैना घुटन में बंद हो गये हैं यूँ
साँस हैरान है
मन परेशान है
हो रहीं सी क्यूँ रुआंसा ये मेरी जान है
क्यूँ निराशा से हैं
आस हारी हुई
क्यूँ सवालों का उठा सा
दिल में तूफान हैं
नैना थे आसमान के सितारे
नैना ग्रहण में आज टूटते हैं यून
नैना कभी जो धूप सेंकते तहे
नैना ठहर के छाऔ ढूँढते हैं यून
जुदा हुए कदम
जिन्होने ली थी ये कसम
मिलके चलेंगे हरदम
अब बाँटते हैं ये गम
भीगे नैना जो सांझे ख्वाब देखते थे
नैना बिछड़ के आज रो दिए हैं यूँ