तुम जगाती हो मुझे
खुद से सजाती हो मुझे
तुम जगाती हो मुझे
खुद से सजाती हो मुझे
खो जो जाता हूँ कहीं तोह मैं
तोह फिर ढून्ढ लाती हो मुझे
अलग सी ख़ुशी थी उस रात
कही तुमने जो दिल की बात
जागता रहा तुमको देखता रहा
तुम्हारी करवटों से सिलवटों को जोड़ता रहा
नयी सुबह की धुप से छुपाती हो मुझे
खुद से सजाती हो मुझे
खो जो जाता हूँ कहीं तोह मैं
तोह फिर ढून्ढ लाती हो मुझे
गुमसुम सी होक अपनी पलकें भिगोके
क्यों छोड़ जाती हो मुझे
किसी दिन अचानक कहीं भीड़ में यु
गले से लगाती हो मुझे
रंगों से इस सफर में देखो भर गया है कितना कुछ नया
मुझको तुम जो मिले जैसे बस गया है छोटा सा जहां
दूर दूर होके भी तोह मैं
गुनगुनाऊँगा तुमको यहाँ
वो ओ ओ ओ वो ओ ओ ओ
उ उ उ उ उ
वो ओ ओ ओ वो ओ ओ ओ
उ उ उ उ उ