छोटी सी थी गली छोटा सा था परिवार
छोटे से घर के अंदर बड़े बड़े ख़्वाब
माँ-बाप के अरमान दुनिया के सवाल
पर मैं खुद की लिखूँगी अपनी मिसाल
रस्ते मुश्किल सही पर मुझे रुकना नहीं
खुद को रोकना मैंने कभी सीखा नहीं।
दुनिया थी अनजान पर अब है मेरी पहचान
मुझे कोई रोके तो मैं कर दूं उसका काम तमाम।
घर से निकल कर देखी बाहर की दुनिया
स्कूल से निकल कर मिली कॉलेज की दुनिया।
था थोड़ा सा डर और थी पूरी ज़िंदगी दाँव पर
पर था भरोसा अपने हुनर और दिमाग़ पर।
मिले दोस्त मिले धोखे और मिली निराशा
अच्छे पलों ने दी ज़िंदगी एक आशा।
करना है कुछ खुद से भी मुझे
गिर कर उठने की थी आदत सी मुझे।
गाड़ियाँ हैं तेज है तेज़ शहर की रफ़्तार
क्या रिश्ते हैं नकली क्या झूठा है प्यार?
लोग कहते रहे है सिर्फ़ पैसों की पहचान
करते रहो मेहनत ज़िंदगी नहीं है आसान।
हर मोड़ पर मिले हैं 100 लोगों के सवाल
ना कोई अपना ना कोई हमसफ़र है यार।
खुद ही गिरते खुद ही संभलते
ज़िंदगी को अपने उसूलों पर हैं संवारते।
अब ना है डर और ना है रुकने का इरादा
हर जख्म से सीखा है फर्ज़ निभाना।
हारे नहीं इसीलिए हैं मिसाल
अब सिर्फ़ नाम है हर सवाल के आर-पार।
अब मेरे हाथ में मेरी दुनिया की डोर
नाम मेरा चमके हर अख़बार के बोर्ड।
जो कहते थे - 'नहीं कर पाएगी'
आज वही कहते हैं - 'तू सिखा हमें भी!'
तेज़ गाड़ी बड़े लोग बड़ी पहचान
वो सब जो कभी देते थे ताने बेहिसाब।
अब वो आकर झुकाते हैं सर
जिन्होंने कहा था - 'नहीं कर पाएगी ये सफर।'
सफलता मिली पर सफर अभी बाकी है
कल फिर बदल जाएगा कौन जानता है?
हर दिन नया टेस्ट हर दिन नई चाल
क्या मैं जीतूँगी या फिर से सवाल?
पर डर नहीं क्योंकि अब पहचान लिया
ज़िंदगी मेरी किताब खुद को जान लिया।
गिरूँगी सँभलूँगी फिर से बन जाऊँगी
जो सपना अधूरा है उसे खुद तक लाऊँगी!
रस्ते मुश्किल सही पर मुझे रुकना नहीं
खुद को रोकना मैंने कभी सीखा नहीं।
दुनिया थी अनजान पर अब है मेरी पहचान
मुझे कोई रोके तो मैं कर दूं उसका काम तमाम।
"छोटी थी, छोटी सी थी गली, छोटा सा था परिवार,
छोटे से घर के अंदर, बड़े बड़े ख़्वाब,
माँ-बाप के अरमान, दुनिया के सवाल,
पर मैं खुद की लिखूँगी, अपनी मिसाल...