अच्छा तो मे इतना हसीन हूँ
अजी तुम कितने हसीं हो ये मेरे दिल से तो पूछो
अजी तुम कितने हसीं हो ये मेरे दिल से तो पूछो
ये नज़र कितनी है कातिल किसी बिस्मिल से तो पूछो
अजी तुम कितने
अजी तुम कितने हसीं हो ये मेरे दिल से तो पूछो
ये नज़र कितनी है कातिल किसी बिस्मिल से तो पूछो
अजी तुम कितने
कही जो साथ होते हुस्न तेरा और सबाब अपना
जमाना ढूंढता रहता न मिलता फिर जवाब अपना
नहीं तो किस लिए प्यारे ये निगाहे जो उठी है
नहीं तो किस लिए प्यारे ये निगाहे जो उठी है
मेरे चहरे से मचल कर तेरे चहरे पर रुकी है
मेरे चहरे से मचल कर तेरे चहरे पर रुकी है
अजी तुम को क्या हो जरा महफ़िल से तो पूछो
जरा महफ़िल से तो पूछो
अजी तुम कितने ये मेरे दिल से तो पूछो
ये नज़र कितनी है कातिल किसी बिस्मिल से तो पूछो
अजी तुम कितने
आ जाती बिजलियाँ टूटे
उठायी कौन महफ़िल से ए ए ए
जिगर में आग सी भड़की
धुआँ उठने लगे दिल से
कोई कहता है ठहर जा
अरे कातिल अरे कातिल
कोई कहता है ठहर जा
अरे कातिल अरे कातिल
किसी लब पर ये सदा है
मेरा दिल हाय मेरा दिल
किसी लब पर ये सदा है
मेरा दिल हाय मेरा दिल
उठी है कैसी क़यामत जरा महफ़िल से तो पूछो
जरा महफ़िल से तो पूछो
अजी तुम कितने हसीं हो ये मेरे दिल से तो पूछो
ये नज़र कितनी है कातिल किसी बिस्मिल से तो पूछो
अजी तुम कितने