अपनी नज़र मे कोई जचता नही
जच गया तो फिर बचता नही
अपनी नज़र मे कोई जचता नही
जच गया तो फिर बचता नही
आ आ आ आ
ओ में थामती नही ऐसे ही हर किसी मर्द का हाथ
थामु तो छोड़ू नही ज़िंदगी मे साथ
सारा शहर मेरी करता है बात कहर हू में
ओ में डालती नही आचे से आचे नौजवानो पर नज़र
डालु नज़र तो बना लू दिल मे घर
ज़िंदगी भर मेरा जाए ना असर ज़हर हू में
अपनी नज़र मे कोई जचता नही
जच गया तो फिर बचता नही
अपनी नज़र मे कोई जचता नही
जच गया तो फिर बचता नही
आ आ आ आ
ओ इधर आए जो है हसीनो मे बहुत मशहूर
जिनको हो अपनी जवानी का सरूर
चुटकी मे उनका गरूर कर दू चूर कहा है वो
हो जो कातिल है दिलो का तोड़ना हो जिसका काम
मुझको बता दो किसी ऐसे का नाम
कर दूँगी पल मे काम तमाम यकी कर लो
अपनी नज़र मे कोई जचता नही
जच गया तो फिर बचता नही
अपनी नज़र मे कोई जचता नही
जच गया तो फिर बचता नही
आ आ आ आ
आ आ आ आ
आ आ आ आ