आवारा सदियों से
आवारा सदियों से
फिरते है क्यूं रात दिन
रात दिन
आवारा सदियों से
फिरते है क्यूं रात दिन
रात दिन
रात का दील
कब से परेशान है
दिन से ही तो
मिलने का अरमान है
दोनों सुबह शाम पास आते है
पास आते ही दूर जाते है
मिलके भी होना मिलन
आवारा सदियों से
फिरते है क्यूं रात दिन
रात दिन
रात और दिन ही
गर्दिश में है ये जहान
ऐसे में चैन
हम को मिलेगा कहां
मुश्किल से वो पल हाथ आते है
जहां मिलके दिल मुस्कुराते है
कैसे हो पूरी लगन
आवारा सदियों से
फिरते है क्यूं रात दिन
रात दिन
आवारा सदियों से
फिरते है क्यूं रात दिन
रात दिन