जाम होंठो से लगा लूँ तो बुरा क्या है
जाम होंठो से लगा लूँ तो बुरा क्या है
आग सीने की बुझा लूँ तो बुरा क्या है
जाम होंठो से लगा लूँ तो बुरा क्या है
वो जो अपने ना रहे उनसे शिकायत क्या
हो ओ वो जो अपने ना रहे उनसे शिकायत क्या
अपना गम उन से कहूँ इसकी जरूरत क्या
दर्द को दिल मे दबा लूँ तो बुरा क्या है
आग सीने की बुझा लूँ तो बुरा क्या है
जाम होंठो से लगा लूँ तो बुरा क्या है
दूर अब क्यू ना रहु उनके ख्यालो से
हो ओ दूर अब क्यू ना रहु उनके ख्यालो से
कम से कम बच तो सकूँ दिल के सवालो से
बेखुदी और बढ़ा लूँ तो बुरा क्या है
आग सीने की बुझा लूँ तो बुरा क्या है
जाम होंठो से लगा लूँ तो बुरा क्या है