कल रात उसने सपने में मुझको छेड़ा कल रात उसने
कभी इस करवट कभी उस करवट
दीवाना रहा कभी तन से लिपट कभी मॅन से लिपट हाँ
हाँ कल रात उसने सपने में मुझको छेड़ा कल रात उसने
बड़ा दीवाना है वो तो प्रेम के राग सुनाए
बड़ा दीवाना है वो तो प्रेम के राग सुनाए
मोरी गोरी चुनर मोहे लगता है डर कहीं मैली ना हो जाए
मोहे पास बुलाए मैं ना जाउ खुद आए
उसे लाज ना आए मोहे अंग लगाए फिर सारे दीप बुझाए
डर के बोली ओ हमजोली कल का वादा बिल्कुल पक्का
वो मुस्कुराता रहा कभी ऐसे पलट कभी वैसे पलट
दीवाना रहा कभी तन से लिपट कभी मन से लिपट हाँ
हाँ कल रात उसने सपने में मुझको छेड़ा कल रात उसने
बड़ा नटखट है वो बन गया रे कृष्ण कन्हाई
बड़ा नटखट है वो बन गया रे कृष्ण कन्हाई
मैं जमुना में नहाने गयी और उसने चाल चलाई
मेरी साड़ी चुराई मेरी अंगिया चुराई
मैं पैयाँ पड़ी मैने बीनती करी नही माना रे राम दुहाई
बोला राधा संगम होगा मैं क्या कहती वादा जो था
मैं शरमाती रही कभी ऐसे सिमट कभी वैसे सिमट
दीवाना रहा कभी तन से लिपट कभी मॅन से लिपट हाँ
हाँ कल रात उसने सपने में मुझको छेड़ा कल रात उसने