मत जा मत जा मत जा
मेरे बचपन नादाँ
बचपन ने कहा मुझसे
कुछ रोज़ के हम मेहमा
मत जा मत जा मत जा
मेरे बचपन नादाँ
बचपन ने कहा मुझसे
कुछ रोज़ के हम मेहमा
जब से रुत मतवाली आयी है मेरे आँगन
कहते है जैसे के नैना
रूठा रहता है मन
जब से रुत मतवाली आयी है मेरे आँगन
कहते है जैसे के नैना
रूठा रहता है मन
अपने रुठे मन को मैं लेकर जाऊं कहा
बचपन ने कहा मुझसे
कुछ रोज़ के हम मेहमा
मत जा मत जा मत जा
मेरे बचपन नादाँ
बचपन ने कहा मुझसे
कुछ रोज़ के हम मेहमा
कल रात चढ़ गयी निंदिया
और भोर तलक मैं जगी
ये कैसी मीठी अग्नि
जो मेरे तन में लागी
कल रात चढ़ गयी निंदिया
और भोर तलक मैं जागी
ये कैसी मीठी अग्नि
जो मेरे तन में लागी
करदे न मुझे पागल
मेरे नटखट अरमा
बचपन ने कहा मुझसे
कुछ रोज़ के हम मेहमा
मत जा मत जा मत जा
मेरे बचपन नादाँ
बचपन ने कहा मुझसे
कुछ रोज़ के हम मेहमा
क्यों लाज़ लगी है सबसे
क्यों सबसे छुपती फिरू
कोई भी नहीं है ऐसा
हाल अपना जिससे कहु
क्यों लाज़ लगी है सबसे
क्यों सबसे छुपती फिरू
कोई भी नहीं है ऐसा
हाल अपना जिससे कहु
नादानी मेरी देखो सबको समझू नादा
बचपन ने कहा मुझसे
कुछ रोज़ के हम मेहमा
मत जा मत जा मत जा
मेरे बचपन नादाँ
बचपन ने कहा मुझसे
कुछ रोज़ के हम मेहमा
मत जा मत जा मत जा