हुज़ूर आप नए
हम नए
ऐ रात नयी
तो आज मुजरीमे हो जाए कोई
बात नयी
ये अँधेरा हाँ मौत उजालेकि
और अंधेरे की मौत उजाला है
मौत के हाथ से ना रात बची
और ना हे दिन बचने वाला है
जिसको भी मारा मौत ने ही मारा
जिसको भी मारा मौत ने ही मारा
मुझे मौत ने नहीं
मुझे मौत ने नहीं
मुझे ज़िन्दगी ने मारा
ज़िन्दगी ने मारा
जिसको भी मारा मौत ने ही मारा
जिसको भी मारा मौत ने ही मारा
मुझे मौत ने नहीं
आ आ आ आ आ
मुझे मौत ने नहीं
मुझे ज़िन्दगी ने मारा हो हो हो मारा
मौत का मारा तो
दुनिया से गुजर जायेगा
ज़िन्दगी ने जिसे
मारा वो किदर जायेगा
मौत का मारा तो
दुनिया से गुजर जायेगा
ज़िन्दगी ने जिसे
मारा वो किदर जायेगा
शाख़ से टूट गया
वह पत्ता टूट गया
जिस तरफ आँधी का
रुख होगा जायेगा
शिकवा फ़िज़ा से न गुलिस्ताँ से
कहना ही पड़ता फिर भी जुबान से
हो जिसको भी मारा मौत ने ही मारा
हो जिसको भी मारा मौत ने ही मारा
मुझे मौत ने नहीं
हा मौत ने नहीं
हा हा मौत ने नहीं
मुझे ज़िन्दगी ने मारा हो मारा
तो चले रंग ही बदल डाले
ऐश के किसलिये खलल डाले
सोझ का साज बनाया जाये
एक नया राग सुनाये जाये
प्यास आँखों की बुझायी जाये
मेहरबानो को दुआ दी जाये
चाहने वालों की दुनिया
यूँ ही आबाद रहे
अर्ज़ बस इतनी हैं
ये बात मेरी
याद रहे
जिसको भी मारा मौत ने ही मारा
जिसको भी मारा मौत ने ही मारा
मुझे मौत ने नहीं
हाँ मौत ने नहीं
हाँ हाँ मौत ने नहीं
मुझे ज़िन्दगी ने मारा ज़िन्दगी ने मारा
मुझे मौत ने नहीं
मुझे ज़िन्दगी ने मारा हो मारा