एक बार की बात थी एक दम फ़िज़ूल की
परिंदा इक सुलझा था पतंग से उलझा था
उल्टा वो पुल्टा वो मोहब्बत से फिसला वो
गिर कर संभाल कर वो खोया खोया सा हंस कर वो
अखियों की मस्ती मे जो दास्तान ये झलकती है
दिखती है छुपति है हौले से बुलाती है
कहानी अतरंगी सी पहेली अनोखी सी
थोड़ी अधूरी सी ज़रूरी बेवकूफी सी
कहानी अतरंगी सी पहेली अनोखी सी
थोड़ी अधूरी सी ज़रूरी बेवकूफी सी
बैठ कर वो सोचता है परिंदा था जो हमारा
डगमगा चुका था फिर इरादा हिचकिचाया
सवालों से दूर जवाबों से दूर उस एहसास के पास (सवालों से दूर जवाबों से दूर)
जो खुद मे-खुद मे भर-पुर (खुद मे भर-पुर)
लगती बस खुद की पर है वो अब सबकी (खुद की अब सबकी)
इक रंगों की टोली आबाद और आज़ाद ऐसी कमाल की (रंगों की टोली)
यह सपनों की झोली
कहानी अतरंगी सी पहेली अनोखी सी
थोड़ी अधूरी सी ज़रूरी बेवकूफी सी
कहानी अतरंगी सी पहेली अनोखी सी (अतरंगी सी अनोखी सी)
थोड़ी अधूरी सी ज़रूरी बेवकूफी सी (अधूरी सी बेवकूफी सी )
फिर मक़सद भी मुस्कुराया और उसका वक़्त भी पलट आया
इक फसने फसाने का फसाना अब गुदगूदाया
सोच से उच्छला वो अतरंगी परिंदा वो (सोच से उच्छला वो परिंदा वो)
कोशिश को पूरी करना था उस फलक को झटकना था
तस्वीरें उम्मीदों की सोई हुई उन ख्वाबों की (उम्मीदों की उन ख्वाबों की)
झाँक कर नज़र आयें जो (नज़र आयें जो)
लगातार वो पुकार कर मिल जायें (लगातार वो पुकार कर मिल जायें)
कहानी अतरंगी सी पहेली अनोखी सी (अनोखी सी)
थोड़ी अधूरी सी ज़रूरी बेवकूफी सी (बेवकूफी सी)
कहानी अतरंगी सी पहेली अनोखी सी
थोड़ी अधूरी सी ज़रूरी बेवकूफी सी (अधूरी सी)
कहानी अतरंगी सी पहेली अनोखी सी (अनोखी सी)
थोड़ी अधूरी सी ज़रूरी बेवकूफी सी (बेवकूफी सी)
कहानी अतरंगी सी पहेली अनोखी सी (ना ना ना)
थोड़ी अधूरी सी ज़रूरी बेवकूफी सी (अधूरी सी)
कहानी अतरंगी सी पहेली अनोखी सी (अनोखी सी)
थोड़ी अधूरी सी ज़रूरी बेवकूफी सी (ना ना ना)
कहानी अतरंगी सी पहेली अनोखी सी (ना ना ना)
थोड़ी अधूरी सी ज़रूरी बेवकूफी सी