[ Featuring Pratibha Singh Baghel ]
जो बीत गया सो बीत गया
फिर वही सन्नाटा माज़ी का
बोलती आँखें भी ख़ामोश हो गयीं
बहती भी नहीं आँखें
कहती भी नहीं आँखें
बहती भी नहीं आँखें
कहती भी नहीं आँखें
बहती भी नहीं आँखें
कहती भी नहीं आँखें
इन गूँगी ज़बानो में
इन गूँगी ज़बानो में
अब कोई नहीं रहता
बहती भी नहीं आँखें
कहती भी नहीं आँखें
जब आप थे आँखें भी
लबरेज़ ही रहतीं थीं
जब आप थे आँखें भी
लबरेज़ ही रहतीं थीं
इन खुश्क ठिकानो में
इन खुश्क ठिकानो में
अब कोई नहीं रहता
बहती भी नहीं आँखें
कहती भी नहीं आँखें
एक आँधी सी चलती है
बौराई सी आँखों में
एक आँधी सी चलती है
बौराई सी आँखों में
इन ख़ाली मकानों में
इन ख़ाली मकानों में
अब कोई नहीं रहता
बहती भी नहीं आँखें
कहती भी नहीं आँखें
कुछ लोग नए आकर
ठहरे हैं सराए में
कुछ लोग नए आकर
ठहरे हैं सराए में
उन पिछले घरानो में
उन पिछले घरानो में
अब कोई नहीं रहता
बहती भी नहीं आँखें
कहती भी नहीं आँखें
इन गूँगी ज़बानो में
इन गूँगी ज़बानो में
अब कोई नहीं रहता
बहती भी नहीं आँखें
कहती भी नहीं आँखें