काहे अपनों के काम नहीं आये तू
केहेते है सबकी बिगड़ी राम बनाये तू
हे राम
काहे अपनों के काम नहीं आये तू
केहेते है सबकी बिगड़ी राम बनाये तू
हे राम
कैसा तमाशा गैर की तड़पन
मन को मेरे तड़पाती है
तेरे बन्दे का खून है बेहेता
तुझको दया नहीं आती है
तुझीको हसेंगे लोग तमाम
तुझीको हसेंगे लोग तमाम
काहे अपनों के काम नहीं आये तू
केहेते है सबकी बिगड़ी राम बनाये तू
हे राम
चाहे तू जितना चुप रहे रामा
मैना कभी ऐसे हारूंगा
हा तुहि केहेदे तू नहीं मेरा
फिर मैं कभी ना पुकारूंगा
आगे समझना तेरा काम आगे समझना तेरा काम
काहे अपनों के काम नहीं आये तू
केहेते है सबकी बिगड़ी राम बनाये तू
हे राम