मैं तेरे प्यार में पागल ऐसे घूमता हूँ
जैसे मैं कोई प्यासा बादल बरखा को ढूंढता हूँ
मैं तेरे प्यार में पागल ऐसे घूमती हूँ
जैसे मैं कोई प्यासी बदली सावन को ढूंढती हूँ
मैं तेरे प्यार में पागल पागल पागल पागल
जब जब तू छुप जाती है इन फूलों की गलियों में
जब जब तू छुप जाती है इन फूलों की गलियों में
और चटकने लगती है कितनी कलियाँ कलियों में
मैं तेरा पता सभी से ऐसे पूछता हूँ
जैसे मैं कोई भुला राही मंज़िल को ढूंढता हूँ
मैं तेरे प्यार में पागल पागल पागल पागल
तू हो ना हो आँखों में रहती तेरी सूरत है
ये मन प्रेम का मंदिर है जिसमें तेरी मूरत है
मैं तेरी इस मूरत को ऐसे पूजती हूँ
जैसे मैं कोई व्याकुल राधा मोहन को ढूंढती हूँ
मैं तेरे प्यार में पागल ऐसे घूमता हूँ
जैसे मैं कोई प्यासा बादल
जैसे मैं कोई प्यासी बदली
बरखा को ढूंढता हूँ
सावन को ढूंढती हूँ
बरखा को ढूंढता हूँ