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DJ HARSHIT SHAH - Maine Ek Khwab Sa Dekha [Jhankar Beats] Lyrics



DJ HARSHIT SHAH - Maine Ek Khwab Sa Dekha [Jhankar Beats] Lyrics
Official





मैंने एक ख्वाब सा देखा है
ज़रा मै भी सुनु
सुन के शर्मा तोह नै जाओगी
हम्म ह्म तुमसे नहीं

मैंने देखा है फूलों से लड़ी शाखों में
तुम लचकती हुई मेरे करीब आई हो

आआअ

जैसे मुद्दत से युहीं साथ रहा हो अपना
जैसे अबकी नहीं सदियों की शनासाई हो

मैंने भी ख्वाब सा देखा है
कहो,तुम भी कहो
खुद पे इतरा तो न जाओगे
नहीं खुद पे नहीं

मैंने देखा की गाते हुए झरनों के करीब
अपनी बेताबी जज़्बात कही है तुमने

हम्म हम्म

कापते होठों से रूकती हुई आवाज़ के साथ
जो मेरे दिल में थी वही बात कही है तुमने

हम्म हम्म हम्म मम्म (हम्म हम्म हम्म मम्म)

आंच देने लगा कदमों के तले बर्फ का फर्श
आज जाना की मोहब्बत में है गर्मी कितनी

हम्म हम्म हम्म्म हम्म्म

संगमरमर की तरह
सख्त बदन में तेरे
आ गयी है मेरे
छूलेने से नर्मी कितनी

हम्म हम्म हम्म मम्म

हम चले जाते हैं और दूर तलाक कोई नहीं
हम चले जाते हैं और दूर तलाक कोई नहीं
सिर्फ पत्तों के चटकने की सदा आती है
दिल में कुछ ऐसे ख़यालात ने करवट ली है
मुझको तुम से नहीं अपने से हया आती है

हम्म्म हम्म हम्म हम्म्म

मैंने देखा की कोहरे से भरी वादी में
मैं ये कहता हूँ चलो आज कहीं खो जाएँ

हम्म हम्म हह्म्म्म हम्म

मैं ये कहती हूँ की खोने के ज़रुरत क्या है
ओढ़ कर धुंध की चादर को यहीं सो जाएँ

हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म्म हम्म्म्म
हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म्म हम्म्म्म
हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म्म हम्म्म्म
हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म्म हम्म्म्म
हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म्म हम्म्म्म
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मैंने एक ख्वाब सा देखा है
ज़रा मै भी सुनु
सुन के शर्मा तोह नै जाओगी
हम्म ह्म तुमसे नहीं

मैंने देखा है फूलों से लड़ी शाखों में
तुम लचकती हुई मेरे करीब आई हो

आआअ

जैसे मुद्दत से युहीं साथ रहा हो अपना
जैसे अबकी नहीं सदियों की शनासाई हो

मैंने भी ख्वाब सा देखा है
कहो,तुम भी कहो
खुद पे इतरा तो न जाओगे
नहीं खुद पे नहीं

मैंने देखा की गाते हुए झरनों के करीब
अपनी बेताबी जज़्बात कही है तुमने

हम्म हम्म

कापते होठों से रूकती हुई आवाज़ के साथ
जो मेरे दिल में थी वही बात कही है तुमने

हम्म हम्म हम्म मम्म (हम्म हम्म हम्म मम्म)

आंच देने लगा कदमों के तले बर्फ का फर्श
आज जाना की मोहब्बत में है गर्मी कितनी

हम्म हम्म हम्म्म हम्म्म

संगमरमर की तरह
सख्त बदन में तेरे
आ गयी है मेरे
छूलेने से नर्मी कितनी

हम्म हम्म हम्म मम्म

हम चले जाते हैं और दूर तलाक कोई नहीं
हम चले जाते हैं और दूर तलाक कोई नहीं
सिर्फ पत्तों के चटकने की सदा आती है
दिल में कुछ ऐसे ख़यालात ने करवट ली है
मुझको तुम से नहीं अपने से हया आती है

हम्म्म हम्म हम्म हम्म्म

मैंने देखा की कोहरे से भरी वादी में
मैं ये कहता हूँ चलो आज कहीं खो जाएँ

हम्म हम्म हह्म्म्म हम्म

मैं ये कहती हूँ की खोने के ज़रुरत क्या है
ओढ़ कर धुंध की चादर को यहीं सो जाएँ

हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म्म हम्म्म्म
हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म्म हम्म्म्म
हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म्म हम्म्म्म
हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म्म हम्म्म्म
हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म्म हम्म्म्म
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Writer: Ravi, Sahir Ludhianvi, LUDHIANVI SAHIR
Copyright: Lyrics © Royalty Network




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