तुम बिन जाऊ कहाँ
तुम बिन जाऊ कहाँ
के दुनिया में आ के
कुछ ना फ़िर चाहा सनम
तुमको चाहके
तुम बिन जाऊ कहाँ
के दुनिया में आ के
कुछ ना फ़िर चाहा सनम
तुमको चाहके तुम बिन
देखो मुझे सर से कदम तक, सिर्फ प्यार हूँ मैं
गले से लगा लो के तुम्हारा, बेकरार हूँ मैं
तुम क्या जानो के भटकता फिरा, किस किस गली
तुमको चाह के
तुम बिन जाऊँ कहाँ
कि दुनिया में आ के
कुछ न फिर चाहा सनम
तुमको चाह के तुम बिन
अब है सनम हर मौसम प्यार के काबिल
पड़ी जहाँ छाँव हमारी सज गयी महफ़िल
महफ़िल क्या तन्हाई में भी लगता है जी
तुमको चाह के
तुम बिन जाऊँ कहाँ
तुम बिन जाऊँ कहाँ
कि दुनिया में आ के
कुछ न फिर चाहा सनम
तुमको चाह के तुम बिन