हा आ आ आ
आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ
लाज़मी
ग़ुरबत को कैसे कहूँ
सरज़मीं
मरघट को कैसे कहूँ
ग़ुरूर से
फ़ुरसत हो तो सोचना
आदमी
तुमको मैं कैसे कहूँ
जाँ ही है
और ज़माने में तेरा
क्या ही है
है ये जो मलबा ये
जहाँ ही है
तुमसे ही है, हैरां हो क्यों
हैरां हो क्यों हैरां हो क्यों
इस भीड़ में मुझ सा तन्हा
तू भी है
इस भीड़ का ही मग़र हिस्सा
तू भी है
हल्ला ये, तेरी चुप्पी का
शोर है
तेरा ही है जो कुछ भी
चारों ओर है
हैरां क्यूं हो हाँ
हैरां क्यूं हो हाँ
हाँ चला लो ये धंधा बेलगाम
हाँ हो जाने दो ये क़त्ल ए आम
वहशत की इस दहकती आग की
राख में है दबे कुछ, बेगुनाह बेगुनाह
मज़हब है क्या बस एक ढाल है
हर मकां यहाँ लहू से लाल है लाल है हाँ
हो
Howdy my friends
ये जो दृश्य है
ये जो माहौल है
ये अकल्पनीय है
बुझती ज्वालायें, भड़कती चिंगारियां
ज़िन्दा है चीखें मरती, किलकारियां
तुझसे है तेरा ही है, ये जो कुछ भी है
क्या ही तुम्हें हम कहें, आदमी तो हम भी हैं