कभी तो सुन गौर से तेरी आवाज़ हूँ
मना ले ज़रा प्यार से ज़रा सा नाराज़ हूँ
छुपा ले खुद में मुझे मैं तेरा राज़ हूँ
कभी तो सुन गौर से तेरी आवाज़ हूँ
साया हूँ मैं तेरा कब तुझसे दूर हूँ
जबसे मिला है तू तब से मगरूर हूँ
है तेरे इश्क़ की ये सब नवाज़िशें
जितना बदनाम हूँ जितना मशहूर हूँ
लिखा जो तेरे इश्क़ ने मैं वो अल्फ़ाज़ हूँ
मना ले ज़रा प्यार से ज़रा सा नाराज़ हूँ
मेरी हर इक दुआ है तेरे वास्ते
मुंतज़ीर है तेरे मेरे सब रास्ते
आज भी वो मेरी पलकों में क़ैद है
गुज़रे लम्हात के लम्हे जो ख़ास थे
जिसका निज़ाम तू मैं वो आगाज़ हूँ
मना ले ज़रा प्यार से ज़रा सा नाराज़ हूँ
छुपा ले खुद में मुझे मैं तेरा राज़ हूँ
कभी तो सुन गौर से तेरी आवाज़ हूँ
कभी तो सुन गौर से तेरी आवाज़ हूँ