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Fazal Khan - Darinda Lyrics



Fazal Khan - Darinda Lyrics
Official




एक था शक़्स, जवाब के फ़िराक में
अकेले दरिन्दे के समाज में
कांपते हाथ, खाल सूखी सी
अंतड़ियाँ उसकी भूखी सी

काले पंछी घूरे दलदल को
अंधेरों से झांकता रहता वो
डर के शक़्स ने राज वो खोल
फिर जाके दरिंदे ने बोला

एक था शक़्स, जवाब के फ़िराक में
मुड़ के देखा की क्या था उसके सामने
न थी दलदल, न पंची, न आसमान
जी रहा था वो झूठी दास्ताँ
कहाँ है तेरा दरिन्दा
वह है आज़ाद परिंदा
तुझे मिले तो मतलब तू ज़िन्दा
आज़ाद है तेरा दरिन्दा
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एक था शक़्स, जवाब के फ़िराक में
अकेले दरिन्दे के समाज में
कांपते हाथ, खाल सूखी सी
अंतड़ियाँ उसकी भूखी सी

काले पंछी घूरे दलदल को
अंधेरों से झांकता रहता वो
डर के शक़्स ने राज वो खोल
फिर जाके दरिंदे ने बोला

एक था शक़्स, जवाब के फ़िराक में
मुड़ के देखा की क्या था उसके सामने
न थी दलदल, न पंची, न आसमान
जी रहा था वो झूठी दास्ताँ
कहाँ है तेरा दरिन्दा
वह है आज़ाद परिंदा
तुझे मिले तो मतलब तू ज़िन्दा
आज़ाद है तेरा दरिन्दा
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Writer: Fazal Khan
Copyright: Lyrics © O/B/O DistroKid

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Fazal Khan - Darinda Video
(Show video at the top of the page)


Performed By: Fazal Khan
Length: 4:11
Written by: Fazal Khan

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