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Geeta Dutt - Ek Do Teen Char Aur Panch Lyrics



Geeta Dutt - Ek Do Teen Char Aur Panch Lyrics
Official




एक दो तीन चार और पाँच
छह और सात आठ और नौ
एक जगह सब रहते थे
झगड़े थे पर उन में सौ

एक दो तीन चार और पाँच
छह और सात आठ और नौ
एक जगह सब रहते थे
झगड़े थे पर उन में सौ

नौ ने कहा आठ क्या
छोटे का ठाठ क्या
आठ हज़ार सात पे
तुफ़ तेरी जात पे
सात यह बोला छह से
तू हँसा कैसे
अकड़ अकड़ के बिगड़ बिगड़ के
झगड़ा झंझट किटकिटी कर के
सब ने सब को फटकारा
रह गया सब का मुँह तकता
सब से छोटा एक बिचारा

रह गया सब का मुँह तकता
सब से छोटा एक बिचारा
एक दो तीन चार और पाँच
छह और सात आठ और नौ
एक जगह सब रहते थे
झगड़े थे पर उन में सौ

एक बिचारा तनहा-तनहा
फिरता था आवारा सा
सिफ़र मिला उसे रस्ते में
बे-क़ीमत नाकारा सा
एक ने पूछा तुम हो कौन

एक ने पूछा तुम हो कौन

उस ने कहा मैं सिर्फ़ सिफ़र
एक ने सोचा मैं भी क्या
सबसे छोटा और कम कद
मिल गए दोनों हो गए (दस)
चमका क़िस्मत का तारा

मिल गए दोनों हो गए दस
चमका क़िस्मत का तारा
एक दो तीन चार और पाँच
छह और सात आठ और नौ
एक जगह सब रहते थे
झगड़े थे पर उन में सौ

एक को जब दस बनते देखा
सब ने सिफ़र को रोका टोका
नौ ने प्यार से आठ मिलाई
आठ ने सौ-सौ बात बनाई

नौ ने प्यार से आठ मिलाई
आठ ने सौ-सौ बात बनाई

सात ने रँगीं जाल बिछाया
छः ने सौर तूफ़ान उठाया
कटा-कटा के मिटा-मिटा के
सिफ़र को एक से दूर हटा के
छीना एक दूजे का सहारा
छीना एक दूजे का सहारा

एक बिचारा (एक दो तीन चार और पाँच)
तनहा-तनहा (छह और सात आठ और नौ)
फिरने लगा (एक जगह सब रहते थे)
फिरसे आवारा (झगड़े थे पर उन में सौ)

एक दो तीन चार और पाँच
छह और सात आठ और नौ
एक जगह सब रहते थे
झगड़े थे पर उन में सौ
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एक दो तीन चार और पाँच
छह और सात आठ और नौ
एक जगह सब रहते थे
झगड़े थे पर उन में सौ

एक दो तीन चार और पाँच
छह और सात आठ और नौ
एक जगह सब रहते थे
झगड़े थे पर उन में सौ

नौ ने कहा आठ क्या
छोटे का ठाठ क्या
आठ हज़ार सात पे
तुफ़ तेरी जात पे
सात यह बोला छह से
तू हँसा कैसे
अकड़ अकड़ के बिगड़ बिगड़ के
झगड़ा झंझट किटकिटी कर के
सब ने सब को फटकारा
रह गया सब का मुँह तकता
सब से छोटा एक बिचारा

रह गया सब का मुँह तकता
सब से छोटा एक बिचारा
एक दो तीन चार और पाँच
छह और सात आठ और नौ
एक जगह सब रहते थे
झगड़े थे पर उन में सौ

एक बिचारा तनहा-तनहा
फिरता था आवारा सा
सिफ़र मिला उसे रस्ते में
बे-क़ीमत नाकारा सा
एक ने पूछा तुम हो कौन

एक ने पूछा तुम हो कौन

उस ने कहा मैं सिर्फ़ सिफ़र
एक ने सोचा मैं भी क्या
सबसे छोटा और कम कद
मिल गए दोनों हो गए (दस)
चमका क़िस्मत का तारा

मिल गए दोनों हो गए दस
चमका क़िस्मत का तारा
एक दो तीन चार और पाँच
छह और सात आठ और नौ
एक जगह सब रहते थे
झगड़े थे पर उन में सौ

एक को जब दस बनते देखा
सब ने सिफ़र को रोका टोका
नौ ने प्यार से आठ मिलाई
आठ ने सौ-सौ बात बनाई

नौ ने प्यार से आठ मिलाई
आठ ने सौ-सौ बात बनाई

सात ने रँगीं जाल बिछाया
छः ने सौर तूफ़ान उठाया
कटा-कटा के मिटा-मिटा के
सिफ़र को एक से दूर हटा के
छीना एक दूजे का सहारा
छीना एक दूजे का सहारा

एक बिचारा (एक दो तीन चार और पाँच)
तनहा-तनहा (छह और सात आठ और नौ)
फिरने लगा (एक जगह सब रहते थे)
फिरसे आवारा (झगड़े थे पर उन में सौ)

एक दो तीन चार और पाँच
छह और सात आठ और नौ
एक जगह सब रहते थे
झगड़े थे पर उन में सौ
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Writer: KAIFI AZMI, S. D. BURMAN, S.D. BURMAN
Copyright: Lyrics © Royalty Network

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