तो क्या ये तय है तुझे उम्र भर नहीं मिलना
तो क्या ये तय है तुझे उम्र भर नहीं मिलना
तो फिर ये उम्र ही क्यूँ तुझसे गर नहीं मिलना
तो क्या ये तय है तुझे उम्र भर नहीं मिलना
चलो जमाने के खातिर ये जब्र भी सह ले
चलो जमाने के खातिर ये जब्र भी सह ले
कभी मिले भी अगर टूट कर नहीं मिलना
कभी मिले भी अगर टूट कर नहीं मिलना
तो क्या ये तय है तुझे उम्र भर नहीं मिलना
रहे वफ़ा के मुसाफ़िर को कौन समझाये
रहे वफ़ा के मुसाफ़िर को कौन समझाये
के इस सफर मे कोई हमसफर नहीं मिलना
के इस सफर मे कोई हमसफर नहीं मिलना
तो क्या ये तय है तुझे उम्र भर नहीं मिलना
जुदा तो जब भी हुए दिल को यूँ लगा जैसे
जुदा तो जब भी हुए दिल को यूँ लगा जैसे
के अब गए तो कभी लौट कर नहीं मिलना
के अब गए तो कभी लौट कर नहीं मिलना
तो क्या ये तय है तुझे उम्र भर नहीं मिलना
तो फिर ये उम्र ही क्यूँ तुझसे गर नहीं मिलना
तो क्या ये तय है तुझे उम्र भर नहीं मिलना