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Gulshan Jhankar Studio - Raat Ki Hatheli Par [Gulshan Jhankar Studio's Jhankar Beats] Lyrics



Gulshan Jhankar Studio - Raat Ki Hatheli Par [Gulshan Jhankar Studio's Jhankar Beats] Lyrics
Official




[ Featuring Udit Narayan ]

जी खड़े खड़े क्या देख रहे हो
कमाल हे उस चाँद को घंटो देख ता रहा
उसने एक बार भी नहीं टोका
तो चाँद को ही देख ले न
हम्म मगर वो सांस नहीं लेता

रात की हथेली पर, चाँद जगमगाता है
रात की हथेली पर, चाँद जगमगाता है
उसकी नर्म किरणों में
तुमको देखता हूँ तो
दिल धड़क सा जाता है
दिल धड़क सा जाता है
रात की हथेली पर, चाँद जगमगाता है
रात की हथेली पर, चाँद जगमगाता है

तुम कहाँ से आई हो
किस नगर को जाओगी
तुम कहाँ से आई हो
किस नगर को जाओगी
सोचता हूँ मैं हैरान
चाँद जैसा ये चेहरा
रात जैसी ये जुल्फें
है जगाएं सौ अरमान
एक नशा सा आँखों में, धीरे-धीरे छाता है
रात की हथेली पर,चाँद जगमगाता है
रात की हथेली पर, चाँद जगमगाता है
उसकी नर्म किरणों में
तुमको देखता हूँ तो
दिल धड़क सा जाता है
दिल धड़क सा जाता है
रात की हथेली पर,चाँद जगमगाता है

मेरी इस तन्हाई में
मेरे इस वीराने में
मेरी इस तन्हाई में
मेरे इस वीराने में
रंग लेके तुम आई
फिर भी सोचता हूँ मैं
क्या यहाँ तुम सचमुच हो
या हो सिर्फ परछाई
ख्व़ाब जैसा बनता है और टूट जाता है
रात की हथेली पर,चाँद जगमगाता है
रात की हथेली पर,चाँद जगमगाता है
उसकी नर्म किरणों में
तुमको देखता हूँ तो
दिल धड़क सा जाता है
दिल धड़क सा जाता है
रात की हथेली पर,चाँद जगमगाता है
रात की हथेली पर, चाँद जगमगाता है
[ Correct these Lyrics ]

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जी खड़े खड़े क्या देख रहे हो
कमाल हे उस चाँद को घंटो देख ता रहा
उसने एक बार भी नहीं टोका
तो चाँद को ही देख ले न
हम्म मगर वो सांस नहीं लेता

रात की हथेली पर, चाँद जगमगाता है
रात की हथेली पर, चाँद जगमगाता है
उसकी नर्म किरणों में
तुमको देखता हूँ तो
दिल धड़क सा जाता है
दिल धड़क सा जाता है
रात की हथेली पर, चाँद जगमगाता है
रात की हथेली पर, चाँद जगमगाता है

तुम कहाँ से आई हो
किस नगर को जाओगी
तुम कहाँ से आई हो
किस नगर को जाओगी
सोचता हूँ मैं हैरान
चाँद जैसा ये चेहरा
रात जैसी ये जुल्फें
है जगाएं सौ अरमान
एक नशा सा आँखों में, धीरे-धीरे छाता है
रात की हथेली पर,चाँद जगमगाता है
रात की हथेली पर, चाँद जगमगाता है
उसकी नर्म किरणों में
तुमको देखता हूँ तो
दिल धड़क सा जाता है
दिल धड़क सा जाता है
रात की हथेली पर,चाँद जगमगाता है

मेरी इस तन्हाई में
मेरे इस वीराने में
मेरी इस तन्हाई में
मेरे इस वीराने में
रंग लेके तुम आई
फिर भी सोचता हूँ मैं
क्या यहाँ तुम सचमुच हो
या हो सिर्फ परछाई
ख्व़ाब जैसा बनता है और टूट जाता है
रात की हथेली पर,चाँद जगमगाता है
रात की हथेली पर,चाँद जगमगाता है
उसकी नर्म किरणों में
तुमको देखता हूँ तो
दिल धड़क सा जाता है
दिल धड़क सा जाता है
रात की हथेली पर,चाँद जगमगाता है
रात की हथेली पर, चाँद जगमगाता है
[ Correct these Lyrics ]
Writer: Akhtar Javed, Anu Malik
Copyright: Lyrics © Royalty Network




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