ऐ बाद-ए-सबा आहिस्ता चल
यहाँ सोयी हुई है अनारकली
आँखों मे जलवे सलीम के लिये
खोयी हुई है अनारकली
है शहीद-ए-इश्क़ का मकबरा
ज़रा चल अदब से यहाँ हवा
तुझे याद हो के न याद हो
मुझे याद है उस का माजरा
अभी याद है मुझे वो घड़ी
जब किसी की उसपे नज़र पड़ी
यहाँ हुस्न था वहाँ ताज था
यहाँ इश्क़ था वहाँ राज था
ये कहा सलीम ने प्यार से
हँस-हँस के अपनी अनार से
तू कहे तो तारों को तोड़ लूँ
तू कहे तो ताज भी छोड़ दूँ
ज़रा देख ये क्या हवा चली
न रहा सलीम न वो कली
ये मज़ार निशानी है प्यार की ई ई
किसी दर्द भरी इकरार की ई ई ई
किस भँवरे के इंतेज़ार मे
यहाँ सोयी है कली अनार की
ऐ बाद-ए-सबा आहिस्ता चल