तू धुप सुनहरी फिज़ाओं में
रहती हो मेरी दुआओं में
तू धुप सुनहरी फिज़ाओं में
रहती हो मेरी दुआओं में
तेरा नाम जिस लम्हें में लूं
बेहद मिले आराम है
तेरी ही गलियों में आवारा शाम है
तेरी ही गलियों में आवारा शाम है
तू धुप सुनहरी फिज़ाओं में
रहती हो मेरी दुआओं में
तेरा नाम जिस लम्हें में लूं
बेहद मिले आराम है
तेरी ही गलियों में आवारा शाम है
तेरी ही गलियों में आवारा शाम है
जब तक तेरा चेहरा उतरे ना मेरी आँखों में
तब तक ना मेरी सुबह होती है
जब तक तेरा चेहरा उतरे ना मेरी आँखों में
तब तक ना मेरी सुबह होती है
जब तक तेरी खुशबू बिखरे ना मेरी साँसों में
तब तक धडकन भी खोई रहती है
तेरी हंसी है निगाहों में
महफूज़ दिल तेरी बांहों में
तेरा नाम जिस लम्हें में लूं
बेहद मिले आराम है
तेरी ही गलियों में आवारा शाम है
तेरी ही गलियों में आवारा शाम है