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Jagjit Singh - Har Taraf Har Jagah Besumar Aadmi Lyrics



Jagjit Singh - Har Taraf Har Jagah Besumar Aadmi Lyrics
Official




[ Featuring Lata Mangeshkar ]

हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी
हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी

फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी (फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी)
हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी (हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी)

सुबह से शाम तक बोझ ढोता हुआ

सुबह से शाम तक बोझ ढोता हुआ
अपनी ही लाश का खुद मज़ार आदमी
अपनी ही लाश का खुद मज़ार आदमी
फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी
हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी

हर तरफ़ भागते दौड़ते रास्ते
हर तरफ़ भागते दौड़ते रास्ते
हर तरफ़ आदमी का शिकार आदमी
हर तरफ़ आदमी का शिकार आदमी
फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी
हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी

रोज़ जीता हुआ रोज़ मरता हुआ

रोज़ जीता हुआ रोज़ मरता हुआ
हर नयी दिन नया इंतज़ार आदमी
हर नयी दिन नया इंतज़ार आदमी
फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी
हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी

ज़िन्दगी का मुक़द्दर सफ़र दर सफ़र
ज़िन्दगी का मुक़द्दर सफ़र दर सफ़र

आखिरी साँस तक बेक़रार आदमी (आखिरी साँस तक बेक़रार आदमी)
आखिरी साँस तक बेक़रार आदमी (आखिरी साँस तक बेक़रार आदमी)
फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी (फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी)
हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी (हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी)
हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी (हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी)
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हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी
हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी

फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी (फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी)
हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी (हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी)

सुबह से शाम तक बोझ ढोता हुआ

सुबह से शाम तक बोझ ढोता हुआ
अपनी ही लाश का खुद मज़ार आदमी
अपनी ही लाश का खुद मज़ार आदमी
फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी
हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी

हर तरफ़ भागते दौड़ते रास्ते
हर तरफ़ भागते दौड़ते रास्ते
हर तरफ़ आदमी का शिकार आदमी
हर तरफ़ आदमी का शिकार आदमी
फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी
हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी

रोज़ जीता हुआ रोज़ मरता हुआ

रोज़ जीता हुआ रोज़ मरता हुआ
हर नयी दिन नया इंतज़ार आदमी
हर नयी दिन नया इंतज़ार आदमी
फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी
हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी

ज़िन्दगी का मुक़द्दर सफ़र दर सफ़र
ज़िन्दगी का मुक़द्दर सफ़र दर सफ़र

आखिरी साँस तक बेक़रार आदमी (आखिरी साँस तक बेक़रार आदमी)
आखिरी साँस तक बेक़रार आदमी (आखिरी साँस तक बेक़रार आदमी)
फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी (फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी)
हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी (हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी)
हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी (हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी)
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Writer: JAGJIT SINGH, NIDA FAZIL
Copyright: Lyrics © Royalty Network

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