ये मौजेज़ा भी मुहब्बत कभी दिखाये मुझे
ये मौजेज़ा भी मुहब्बत कभी दिखाये मुझे
के संग तुझ पे गिरे और ज़ख़्म आये मुझे
ये मौजेज़ा
वो मेहरबाँ है तो इक़रार क्यूँ नहीं करता
वो मेहरबाँ है तो इक़रार क्यूँ नहीं करता
वो बदगुमाँ है तो सौ बार आज़माये मुझे
वो बदगुमाँ है तो सौ बार आज़माये मुझे
के संग तुझ पे गिरे और ज़ख़्म आये मुझे
ये मौजेज़ा
वो मेरा दोस्त है सारे जहाँ को है मालूम
वो मेरा दोस्त है सारे जहाँ को है मालूम
दग़ा करे वो किसी से तो शर्म आये मुझे
दग़ा करे वो किसी से तो शर्म आये मुझे
के संग तुझ पे गिरे और ज़ख़्म आये मुझे
ये मौजेज़ा
मैं अपनी ज़ात में नीलाम हो रहा हूँ क़तील
मैं अपनी ज़ात में नीलाम हो रहा हूँ क़तील
ग़म-ए-हयात से कह दो ख़रीद लाये मुझे
ग़म-ए-हयात से कह दो ख़रीद लाये मुझे
के संग तुझपे गिरे और ज़ख़्म आये मुझे
ये मौजेज़ा