मेरी ये नज़र पे जुनून सा
मेरी रागो में लहू सा
बहता है देश मेरा
तेरे लिए जो मर जाए
हम क्या है देश मेरा
कुछ भी ना मैने किया है
तेरा ही तुझको दिया है
कैसा वो मज़हब जिसने घिले है
नाम पे जिसने झखम दिए है
मेरी ये नज़र पे जुनून सा
वो है रब्ब, वो है नबी
वो राम है
उसके नाम पे फिर कैसी जंग है
क़ौम के सब रंग साथ तिरंगे पे मेरे
कैसे जुड़ा फिर दो कौमो के रंग है
जो बीट गयी वो बात गयी
ये दौर नया है नया जहाँ
आब मज़हब की दीवार ना हो
नफ़रत का रहे ना कोई निशान
हम ही से बनता वतन है
हमसे है और हम्ही में
रहता है देश मेरा
कुछ भी ना मैने किया है
तेरा ही तुझको दिया है
कैसा वो मज़हब जिसने घिरे है
नाम पे जिसने झखम मिले है
मेरी ये नज़र पे ह्म
मेरी रागो में ह्म
बहता है देश