[ Featuring Bombay Jayashri ]
ज़रा ज़रा बहकता है, महकता है
आज तो मेरा तनबदन मैं प्यासी हूँ
मुझे भर ले अपनी बाहों में
ज़रा ज़रा बहकता है, महकता है
आज तो मेरा तनबदन मैं प्यासी हूँ
मुझे भर ले अपनी बाहों में
है मेरी कसम, तुझको सनम
दूर कहीं ना जा ये दूरी कहती है
पास मेरे आजा रे
यूँ ही बरस बरस काली घटा बरसे
हम यार भीग जाएँ इस चाहत की बारिश में
मेरी खुली खुली लटों को सुलझाए
तू अपनी उँगलियों से
मैं तो हूँ इसी ख्वाहिश में
सर्दी की रातों में
हम सोये रहें एक चादर में
हम दोनों तन्हाँ हो
ना कोई भी रहे इस घर में
ज़रा ज़रा बहकता है, महकता है
आज तो मेरा तनबदन मैं प्यासी हूँ
मुझे भर ले अपनी बाहों में