तुलसी मीरा सूर कबीर, तुलसी मीरा सूर कबीर
एक तूनीर में चारों तीर, एक तूनीर में चारों तीर
तुलसी मीरा सूर कबीर, तुलसी मीरा सूर कबीर
इन तीरों की चोट लगे जब बरसन लागे प्रेम का नीर
इन तीरों की चोट लगे जब बरसन लागे
बरसन लागे बरसन लागे प्रेम की नीर
एक तूनीर में चारो तीर, एक तूनीर में चारो तीर
तुलसी मीरा सूर कबीर, तुलसी मीरा सूर कबीर
तुलसीदास हैं राम पुजारी
मीराबाई के गिरधारी
सूरदास सूरज सम चमके जानत है ये दुनिया सारी
सहब दया से बने कबीर, एक तूनीर में चारो तीर
एक तूनीर में चारो तीर, तुलसी मीरा सूर कबीर
तुलसी मीरा सूर कबीर
तुलसी की कविता की झलक सब माया मोह का दाह करे
प्रेम सुधा मीरा बरसावे, पीकर सारा जगत तरे
सूर उढ़ावे प्रेम चदरिया, की मृत्यु से नाहीं डरे
सब रे जगावे ऋतु बसंत को अंत काल जब द्वार खड़े
करी जो पापी जन से भीर इन चारों ने मिटाई पीर
करी जो पापी जन से भीर इन चारों ने मिटाई पीर
इन चारों ने मिटाई, मिटाई, मिटाई पीर
तुलसी मीरा सूर कबीर,तुलसी मीरा सूर कबीर