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Kishore Kumar - Aankhen Tumhari Do Jahan Lyrics



Kishore Kumar - Aankhen Tumhari Do Jahan Lyrics
Official




बू बू बू बू बू बू

रे रे रे इ इ इ ओ ऊ
रे रे रे इ इ इ ओ ऊ
रे रे रे इ इ इ

आँखें तुम्हारी दो जहा
आँचल तुम्हारा आस्मा
खिलता बदन जैसे चमन
आयी हो कहा से ओ जाने जा गुलसिता मेहरबा
आँखें तुम्हारी दो जहा
आँचल तुम्हारा आस्मा
खिलता बदन जैसे चमन
आयी हो कहा से ओ जाने जा गुलसिता मेहरबा

चेहरा तुम्हारा देख कर
हरती नहीं है क्यों नज़र
आरज़ू यही है दिल की
देखा करे हम उम्र भर
हर एक अदा निराली है
दिल जीत लेने वाली है
हर एक अदा निराली है
दिल जीत लेने वाली
आँखें तुम्हारी दो जहा
आँचल तुम्हारा आस्मा
खिलता बदन जैसे चमन
आयी हो कहा से ओ जाने जा गुलसिता मेहरबा

हीरे के जैसी हे नज़र
कांत दे जो पल मैं जिगर
एक बार जो भी देख ले
तड़पा करे वो उम्र भर
अरमान हज़ारो जाग उठे
तुमसे तुम्ही को माँग उठे
अरमान हज़ारो जाग उठे
तुमसे तुम्ही को माँग उठे
आँखें तुम्हारी दो जहा
आँचल तुम्हारा आस्मा
खिलता बदन जैसे चमन
आई हो कहा से ओ जाने जा गुलसिता मेहरबा

चंचल कली हो चुलबुली
बाते है रस में घुली घुली
बाहो के अंदाज़ में
जन्नत की राहे खुली खुली
हर जाम से बद के अदा
उतरे नहीं जिसका नशा
हर जाम से बद के अदा
उतरे नहीं जिसका नशा
आँखें तुम्हारी दो जहा
आँचल तुम्हारा आस्मा
खिलता बदन जैसे चमन
आयी हो कहा से ओ जाने जा गुलसिता मेहरबा
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बू बू बू बू बू बू

रे रे रे इ इ इ ओ ऊ
रे रे रे इ इ इ ओ ऊ
रे रे रे इ इ इ

आँखें तुम्हारी दो जहा
आँचल तुम्हारा आस्मा
खिलता बदन जैसे चमन
आयी हो कहा से ओ जाने जा गुलसिता मेहरबा
आँखें तुम्हारी दो जहा
आँचल तुम्हारा आस्मा
खिलता बदन जैसे चमन
आयी हो कहा से ओ जाने जा गुलसिता मेहरबा

चेहरा तुम्हारा देख कर
हरती नहीं है क्यों नज़र
आरज़ू यही है दिल की
देखा करे हम उम्र भर
हर एक अदा निराली है
दिल जीत लेने वाली है
हर एक अदा निराली है
दिल जीत लेने वाली
आँखें तुम्हारी दो जहा
आँचल तुम्हारा आस्मा
खिलता बदन जैसे चमन
आयी हो कहा से ओ जाने जा गुलसिता मेहरबा

हीरे के जैसी हे नज़र
कांत दे जो पल मैं जिगर
एक बार जो भी देख ले
तड़पा करे वो उम्र भर
अरमान हज़ारो जाग उठे
तुमसे तुम्ही को माँग उठे
अरमान हज़ारो जाग उठे
तुमसे तुम्ही को माँग उठे
आँखें तुम्हारी दो जहा
आँचल तुम्हारा आस्मा
खिलता बदन जैसे चमन
आई हो कहा से ओ जाने जा गुलसिता मेहरबा

चंचल कली हो चुलबुली
बाते है रस में घुली घुली
बाहो के अंदाज़ में
जन्नत की राहे खुली खुली
हर जाम से बद के अदा
उतरे नहीं जिसका नशा
हर जाम से बद के अदा
उतरे नहीं जिसका नशा
आँखें तुम्हारी दो जहा
आँचल तुम्हारा आस्मा
खिलता बदन जैसे चमन
आयी हो कहा से ओ जाने जा गुलसिता मेहरबा
[ Correct these Lyrics ]
Writer: Indeewar, Kishore Kumar
Copyright: Lyrics © Royalty Network




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