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Kishore Kumar - Hum Jab Honge Saath Saal Ke Lyrics



Kishore Kumar - Hum Jab Honge Saath Saal Ke Lyrics
Official




[ Featuring Asha Bhosle ]

क्या
हम जब होगे साथ साल के
और तुम होगी पचपन की
बोलो प्रीत निभाओगी ना
तब भी अपने बचपन की
क्या क्या क्या हम्म बहहहह हम्म
हम जब होगे साथ साल
के और तुम होगी पचपन की
बोलो प्रीत निभाओगी ना
तब भी अपने बचपन की
हम जब होगे साथ साल के
और तुम होगी पचपन की
बोलो प्रीत निभाओगी ना
तब भी अपने बचपन की
तुम जब होगे साथ साल के
और मई हूँगी पचपन की
प्रीत की ज्योत जलाओगी मई
तब भी अपने बचपन की

हाँ बाहों का सहारा हो
जब लकड़ी क्यों हम टेकेंगे
आँख भले धुंधली हो
जाए दिल की नज़र से देखेंगे
हाँ बाहों का सहारा हो
जब लकड़ी क्यों हम टेकेंगे
आँख भले धुंधली हो
जाए दिल की नज़र से देखेंगे
आँखों में तुम
यूँ ही देखना
आँखों में तुम
यूँ ही देखना क्या
है ज़रूरत दरपन की
बोलो प्रीत निभाओगी ना
तब भी अपने बचपन की
तुम जब होगे साथ साल के
और मई हूँगी पचपन की
प्रीत की ज्योत जलाओगी मै तब
भी अपने बचपन की

रूप की ये मस्तानी धुन
एक दिन तो ढल जाएगी
और क़िस्मत भी चहरे पे
समय का रंग मिल जाएगी
हाँ रूप की ये मस्तानी धुन
एक दिन तो ढल जाएगी
और क़िस्मत भी चहरे पे
समय का रंग मिल जाएगी
तुम तब कहीं बदल ना जाना
तुम तब कहीं बदल ना जाना
कसम तुम्हे इस धडकन की
बोलो प्रीत निभाओगे ना
तब भी अपने बचपन की

हाँ थड़ी में तुम स्वेटर बोना
हम लकड़ी चुन लाएगे
बच्चो के सैग बच्चे बन
कर हम दोनों तुतलायेगे
हाँ
थड़ी में तुम स्वेटर बोना
हम लकड़ी चुन लाएगे
बच्चो के सैग बच्चे
बन कर हम दोनों तुतलायेगे
मिलजुल कर हम साथ रहेंगे
मिलजुल कर हम साथ रहेंगे
बात न होगी अनबन की
बोलो प्रीत निभाओगी ना
तब भी अपने बचपन की
तुम जब होगे साथ साल के
और मई हूँगी पचपन की
प्रीत की ज्योत जलाओगी मई
तब भी अपने बचपन की
हम जब होगे साथ साल के
और तुम होगी पचपन की
बोलो प्रीत निभाओगी ना
तब भी अपने बचपन की
ल ल ला ला ला ला ला ला ला
[ Correct these Lyrics ]

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क्या
हम जब होगे साथ साल के
और तुम होगी पचपन की
बोलो प्रीत निभाओगी ना
तब भी अपने बचपन की
क्या क्या क्या हम्म बहहहह हम्म
हम जब होगे साथ साल
के और तुम होगी पचपन की
बोलो प्रीत निभाओगी ना
तब भी अपने बचपन की
हम जब होगे साथ साल के
और तुम होगी पचपन की
बोलो प्रीत निभाओगी ना
तब भी अपने बचपन की
तुम जब होगे साथ साल के
और मई हूँगी पचपन की
प्रीत की ज्योत जलाओगी मई
तब भी अपने बचपन की

हाँ बाहों का सहारा हो
जब लकड़ी क्यों हम टेकेंगे
आँख भले धुंधली हो
जाए दिल की नज़र से देखेंगे
हाँ बाहों का सहारा हो
जब लकड़ी क्यों हम टेकेंगे
आँख भले धुंधली हो
जाए दिल की नज़र से देखेंगे
आँखों में तुम
यूँ ही देखना
आँखों में तुम
यूँ ही देखना क्या
है ज़रूरत दरपन की
बोलो प्रीत निभाओगी ना
तब भी अपने बचपन की
तुम जब होगे साथ साल के
और मई हूँगी पचपन की
प्रीत की ज्योत जलाओगी मै तब
भी अपने बचपन की

रूप की ये मस्तानी धुन
एक दिन तो ढल जाएगी
और क़िस्मत भी चहरे पे
समय का रंग मिल जाएगी
हाँ रूप की ये मस्तानी धुन
एक दिन तो ढल जाएगी
और क़िस्मत भी चहरे पे
समय का रंग मिल जाएगी
तुम तब कहीं बदल ना जाना
तुम तब कहीं बदल ना जाना
कसम तुम्हे इस धडकन की
बोलो प्रीत निभाओगे ना
तब भी अपने बचपन की

हाँ थड़ी में तुम स्वेटर बोना
हम लकड़ी चुन लाएगे
बच्चो के सैग बच्चे बन
कर हम दोनों तुतलायेगे
हाँ
थड़ी में तुम स्वेटर बोना
हम लकड़ी चुन लाएगे
बच्चो के सैग बच्चे
बन कर हम दोनों तुतलायेगे
मिलजुल कर हम साथ रहेंगे
मिलजुल कर हम साथ रहेंगे
बात न होगी अनबन की
बोलो प्रीत निभाओगी ना
तब भी अपने बचपन की
तुम जब होगे साथ साल के
और मई हूँगी पचपन की
प्रीत की ज्योत जलाओगी मई
तब भी अपने बचपन की
हम जब होगे साथ साल के
और तुम होगी पचपन की
बोलो प्रीत निभाओगी ना
तब भी अपने बचपन की
ल ल ला ला ला ला ला ला ला
[ Correct these Lyrics ]
Writer: Shankar-Jaikishan, Shailey Shailendra
Copyright: Lyrics © Royalty Network




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