ओ मांझी रे
ओ मांझी रे अपना किनारा,नदिया की धारा है
ओ मांझी रे
साहिलों पे बहने वाले
कभी सुना तो होगा कहीं, ओ
हो, कागज़ों की कश्तियों का
कहीं किनारा होता नहीं
हो मांझी रे मांझी रे
कोई किनारा जो किनारे से मिले वो
अपना किनारा है
ओ मांझी रे
पानियों में बह रहे हैं
कई किनारे टूटे हुए ओ
हो, रास्तों में मिल गए हैं
सभी सहारे छूटे हुए
कोइ सहारा मझधारे में मिले वो
अपना सहारा है
ओ मांझी रे,अपना किनारा,नदिया की धारा है