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Logon Ke Ghar Men Rahta Hoon Video (MV)




Performed By: K.J. Yesudas
Length: 3:27
Written by: Gulzar, Kanu Roy




K.J. Yesudas - Logon Ke Ghar Men Rahta Hoon Lyrics
Official




लोगों के घर में रहता हूँ
कब अपना कोई घर होगा
दीवारों की चिंता रहती है
दिवार में कब कोई दर होगा
लोगो के घर में रहता हूँ
कब अपना कोई घर होगा
दीवारों की चिंता रहती है
दिवार में कब कोई दर होगा
लोगों के घर में रहता हूँ

सब्जी मंडी हा हा सब्जी मंडी बाप का घर है
फूल बंगश पे मामा का
श्याम नगर में हांजी श्याम नगर में चाचा का घर
चौक में अपनी श्यामा का
सब्जी मंडी बाप का घर है
फूल बंगश पे मामा का
श्याम नगर में चाचा का घर
चौक में अपनी श्यामा का
मइके और ससुराल के आगे
मइके और ससुराल के आगे
और भी कोई घर होगा
दीवारों की चिंता रहती है
दिवार में कब कोई दर होगा
लोगों के घर में रहता हूँ

इच्छाओं के भाई इच्छाओं के भीगे चाबुक
चुपके चुपके सहता हूँ
दूजे के घर हा हा दूजे के घर यु लगता है
मौजे पहने रहता हूँ
इच्छाओं के भीगे चाबुक
चुपके चुपके सहता हूँ
दूजे के घर यु लगता है
मौजे पहने रहता हूँ
नंगे पाँव आँगन में
नंगे पाँव आँगन में कब
बैठूँगा कब घर होगा
दीवारों की चिंता रहती है
दिवार में कब कोई दर होगा
लोगों के घर में रहता हूँ
कब अपना कोई घर होगा
दीवारों की चिंता रहती है
दिवार में कब कोई दर होगा
लोगों के घर में रहता हूँ
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लोगों के घर में रहता हूँ
कब अपना कोई घर होगा
दीवारों की चिंता रहती है
दिवार में कब कोई दर होगा
लोगो के घर में रहता हूँ
कब अपना कोई घर होगा
दीवारों की चिंता रहती है
दिवार में कब कोई दर होगा
लोगों के घर में रहता हूँ

सब्जी मंडी हा हा सब्जी मंडी बाप का घर है
फूल बंगश पे मामा का
श्याम नगर में हांजी श्याम नगर में चाचा का घर
चौक में अपनी श्यामा का
सब्जी मंडी बाप का घर है
फूल बंगश पे मामा का
श्याम नगर में चाचा का घर
चौक में अपनी श्यामा का
मइके और ससुराल के आगे
मइके और ससुराल के आगे
और भी कोई घर होगा
दीवारों की चिंता रहती है
दिवार में कब कोई दर होगा
लोगों के घर में रहता हूँ

इच्छाओं के भाई इच्छाओं के भीगे चाबुक
चुपके चुपके सहता हूँ
दूजे के घर हा हा दूजे के घर यु लगता है
मौजे पहने रहता हूँ
इच्छाओं के भीगे चाबुक
चुपके चुपके सहता हूँ
दूजे के घर यु लगता है
मौजे पहने रहता हूँ
नंगे पाँव आँगन में
नंगे पाँव आँगन में कब
बैठूँगा कब घर होगा
दीवारों की चिंता रहती है
दिवार में कब कोई दर होगा
लोगों के घर में रहता हूँ
कब अपना कोई घर होगा
दीवारों की चिंता रहती है
दिवार में कब कोई दर होगा
लोगों के घर में रहता हूँ
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Writer: Gulzar, Kanu Roy
Copyright: Lyrics © Royalty Network

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