आवारा फिर रहा हूँ
बंजारा भटक रहा हूँ
ढूँढता मैं अपने आप को
पूरा करना है ख्वाबो को
घड़ी के काँटे काटते है (Tick tock)
ये ज़ख्म भरता नशे करके (Puff puff)
डुबोता खुदको मैं शराब में (Dip dip)
आँख तभी लग पाती रात में (Trip trip)
उठने का दिल नही करता क्योंकि
सबसे पहले सवाल आता क्या करू
सोचने को लग जाता तो मेरा सर कहता
तुझसे न होगा बेटा सोजा तू
दुश्मन जब बैठा है कानो के बीच में
बोल कैसे लड़ लूँ मैं अपने नसीब से
चूतिये भी मचा रहे आज कल धूम
पर मैं रुका हुआ वही पे
मैं थम के थक चुका हूँ
हार के में चूर हुआ हूँ
वक़्त न साथ तभी तो
एक ही दिन मैं loop पे जी रहा हूँ
आवारा फिर रहा हूँ
बंजारा भटक रहा हूँ
ढूँढता मैं अपने आप को
पूरा करना है ख्वाबो को
लोग दुनिया घूम रहे है
मेरा सर घूम
रहा है मन में है मंज़िल पैरो को
पता न पता है
पूछ रहा दिल को मैं रास्ता
गूंगा एक लफ्ज़ भी न बोलता
दिमाग की कैद में है वो
पिंजरे में प्यारा परिंदा
शर्मिंदा हूँ मैं अपनी हालत से ए ए
दरिंदा हूँ मैं अपनी आदत से ए ए
ज़िंदा हूँ मैं पर मैं जीता ना ना ना
पछतावे में मुझको मरना ना ना ना
आवारा फिर रहा हूँ
बंजारा भटक रहा हूँ
ढूँढता मैं अपने आप को
पूरा करना है ख्वाबो को