आली ए री
रोको ना कोई
करने दो मुझको मनमानी
आज मेरे घर आए प्रीतम
जिनके लिए सब नगरी छानी
आज कोई बंधन ना भाए
आज है खुल खेलन की ठानी
ए री जाने न दूँगी
ए री जाने न दूँगी
मैं तो अपने रसिक को नैनों में रख लूँगी
पलकें मूँद-मूँद
ए री जाने न दूँगी
ए री जाने न दूँगी
अलकों में कुंडल डालो और देह सुगंध रचाओ
जो देखे मोहित हो जाये, ऐसा रूप सजाओ
आज सखी
ध प म रे प, म प ध नि ध, प ध प प सां
रे सा ध, प रे
आज सखी पी डालूँगी
मैं दर्शन-जल की बूँद-बूँद
ए री जाने न दूँगी
ए री जाने न दूँगी
मधुर मिलन की दुर्लभ बेला, यूँ ही बीत न जाये
ऐसी रैन जो व्यर्थ गँवाए, जीवन भर पछताये
सेज सजाओ
ध प म रे प, म प ध नि ध, प ध प प सां
रे सा ध, प रे
आ सेज सजाओ मेरे साजन की
ले आओ कलियाँ गूँद-गूँद
ए री जाने न दूँगी
ए री जाने न दूँगी
मैं तो अपने रसिक को नैनों में रख लूँगी
पलकें मूँद-मूँद
ए री जाने न दूँगी
ए री जाने न दूँगी