दिल लगाने की ना दो सज़ा यू सज़ा
दूर महबूब से महबूबा कर दिया ओ पिया
दिल लगाने की ना दो सज़ा यू सज़ा
दूर महबूब से महबूबा कर दिया ओ पिया
हुस्न महफ़िल मे रुसवा हुआ है
मेरे ख्वाबो का सौदा हुआ है
ओ ओ ओ
बना दुश्मन ये सारा जहा है
हाए महबूब मेरा कहा है
भरी बरसात मे घर जला क्यू जला
दूर महबूब से महबूबा कर दिया ओ पिया
बोली अनमोल की लग रही है
सरे बाजार वो बिक रही है
ओ ओ ओ
उड़ ना जाए हया का दुपट्टा
शर्म भी बेशरम हो रही है
मोल अनमोल का ना लगा ना लगा
दूर महबूब से महबूबा कर दिया ओ पिया
मैं समझती थी मंज़िल मिलेगी
मेरे हाथो मे मेहंदी रचेगी
ओ ओ ओ
सेज फुलो से मेरी सजेगी
आज सज धज के डोली उठेगी
इन कहारों ने धोखा दिया क्यू दिया
दूर महबूब से महबूबा कर दिया ओ पिया
दिल लगाने की ना दो सज़ा यू सज़ा
दूर महबूब से महबूबा कर दिया ओ पिया
ओ पिया