कहीं करती होगी वो मेरा इंतज़ार
जिसकी तमन्ना में फिरता हूँ बेक़रार
कहीं करती होगी वो मेरा इंतज़ार
जिसकी तमन्ना में फिरता हूँ बेक़रार
वो जो बाहों में मचल जाती
हसरत ही निकल जाती
मेरी दुनिया बदल जाती मिल जाता क़रार
कहीं करती होगी वो मेरा इंतज़ार
जिसकी तमन्ना में फिरता हूँ बेक़रार
अरमान है कोई पास आये
इन हाथों में वो हाथ आये
फिर ख़्वाबों की घटा छाये बरसाये खुमार
फिर उन्हीं दिन रातों पे
मतवाली मुलक़ातों पे
उल्फ़त भरी बातों पे हम होते निसार
कहीं करती होगी वो मेरा इंतज़ार
जिसकी तमन्ना में फिरता हूँ बेक़रार