कैसे कोई जिए कैसे कोई जिए
ज़हर है ज़िंदगी
उठा तूफान वो, उठा तूफान
आस के सब बुझ गये दिए
कैसे कोई जिए
बादल है या धुवा आग लगी कहा
जलता ना हो कही मेरा ही आशिया
अँगारे थे आँसू नही वो, दिल ने जो पिए
कैसे कोई जिए, ज़हर है ज़िंदगी
उठा तूफान वो, उठा तूफान
आस के सब बुझ गये दिए
कैसे कोई जिए
तारे ना जाने उँचाई गगन की
आँखे ना समझे, गहराई मन की
गहराई मन की तारे ना जाने
प्यासे पपिहे ने आस थी बाँधी
उड गये बादल आ गयी आँधी
गम ने जो छेड़ा, दिल ने हसी से
होंठ सी लिए
कैसे कोई जिए, ज़हर है ज़िंदगी
उठा तूफान वो, उठा तूफान
आस के सब बुझ गये दिए
कैसे कोई जिए