दर दर की ठोकरों
इतना मुझे इतना बता दो
मेरा कसूर क्या है
मेरा कसूर क्या है
दर दर की ठोकरों
बिजली मेरे चमन पे गिरी है तो किसलिए
इतनी बड़ी ये सजा मिली है तो किसलिए
मुझको तो कुछ खबर नहीं तुम ही जरा कहो
दर दर की ठोकरों
इतना मुझे बता दो
मेरा कसूर क्या है
मेरा कसूर क्या है
दर दर की ठोकरों
उसने मुझे बनाया था अपने गले का हार
मैं उसका एतबार थी वो मेरा एतबार
क्यों आज कह रहा है वही दूर जाके रो
दर दर की ठोकरों
मुझे इतना बता दो
मेरा कसूर क्या है
मेरा कसूर क्या है
दर दर की ठोकरों
मेरा कसूर ये है के मैं बेक़सूर
जिसका गुनाह नाम है उस सय से दूर हो
फिर किसलिए ये हुक्मगुनाहों के दाग धो
दर दर की ठोकरों
इतना मुझे बता दो
मेरा कसूर क्या है
मेरा कसूर क्या है