किसे पेश करूँ
नग़मा-ओ-शेर की सौगात किसे पेश करूँ
नग़मा-ओ-शेर की सौगात किसे पेश करूँ
ये छलकते हुए जज़बात किसे पेश करूँ
नग़मा-ओ-शेर की
शोख़ आँखों के उजालों को लुटाऊँ किस पर
शोख़ आँखों के उजालों को लुटाऊँ किस पर
मस्त ज़ुल्फ़ों की सियह रात किसे पेश करूँ
नग़मा-ओ-शेर की
गर्म साँसों में छुपे राज़ बताऊँ किसको
गर्म साँसों में छुपे राज़ बताऊँ किसको
नर्म होठों में दबी बात किसे पेश करूँ
नग़मा-ओ-शेर की
कोई हमराज़ तो पाऊँ, कोई हमदम तो मिले
कोई हमराज़ तो पाऊँ, कोई हमदम तो मिले
दिल की धड़कन के इशारात किसे पेश करूँ
नग़मा-ओ-शेर की सौगात किसे पेश करूँ
नग़मा-ओ-शेर की