नयी मंज़िल नयी राहें नया है मेहर्बा अपना
ना जाने जाके ठहरेगा कहा ये कारवां अपना
बाहर आई है गुलशन मे खिली है हर तरफ़ कलिया
बाहर आई है गुलशन मे खिली है हर तरफ़ कलिया
हमे क्या ज़रूरत है चमन से बागबाँ अपना
ननयी मंज़िल नयी राहें नया है मेहर्बा अपना
ना जाने जाके ठहरेगा ये कारवां अपना
आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ
लगी महेंदी बनी दुल्हन बजी शहनाईया लेकिन
लगी महेंदी बनी दुल्हन बजी शहनाईया लेकिन
ये मेरी बदनसीबी है के कोई नई हो अपना
नयी मंज़िल नयी राहें नया है मेहर्बा अपना
ना जाने जाके ठहरेगा कहा ये कारवां अपना