पथ निहारु डगर बुहारू
नैन बहु रोज़
सूली ऊपर सेज पिया की
किस विध मिलना हो
पड़े बरखा फुहार
करे जियरा पुकार
दुःख जाने न हुमार बैरन
रुत बरसात की बरसात की
पड़े बरखा फुहार
करे जियरा पुकार
उठ बरसे बदरवा कारे
इक बरसे दो नैन हमारे
हाय मिटी कजरे की धार
लुटा मन का सिंगार
दुःख जाने न हमार
बैरन रुत बरसात की बरसात की
पड़े बरखा फुहार
करे जियरा पुकार
दुःख हुमारी अभागन प्रीत के
वही जाने जो हरा हो जित के
टूटे सपनो के हार
सुना लागे संसार
दुःख जाने न हमार
बैरन रुत बरसात की बरसात की
पड़े बरखा फुहार
करे जियरा पुकार
दुःख जाने न हुमार
बैरन रुत बरसात की बरसात की